Motivational story in Hindi | मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी 2023

Motivational story in Hindi :- नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी के बारे में बताएंगे यदि दोस्तों हम जो आपको मोटिवेशनल स्टोरी इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले हैं यदि आप इनका अंत तक पढ़ लेते हैं तो इनसे मिलने वाली प्रेरणा को आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं इसलिए दोस्तों यदि आप जो भी मोटिवेशनल कहानी पढ़ते हैं

तो आप उनको बहुत अधिक गहराई से पढ़े ताकि उनसे मिलने वाली प्रेरणा और सबक को आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं आज हम आपको कुछ मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी के बारे में यहां पर बताएंगे जिनका यदि आप अंत तक पढ़ लेते हैं तो आप उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं तो चलिए दोस्तों अब हम Motivational story in Hindi को देखते हैं।

Motivational story in Hindi

एक दिन एक नगर में एक सन्यासी आया था उस नगर में राजा का राज चलता था तो वह सन्यासी सीधे ही नगर में आकर राजा के महल में चला जाता है राजा के महल के द्वार पर सिपाही खड़े थे लेकिन सन्यासी की वेशभूषा को देखने के बाद सिपाहियों के द्वारा सन्यासी को नहीं रोका गया राजा का दरबार चल रहा था तो वह सन्यासी राजा के दरबार में चला जाता है और संन्यासी राजा के सामने जाकर खड़ा हो जाता है तब उसे सन्यासी से राजा ने पूछा कि “आप कौन हो और यहां क्या लेने आए हो?”उसके बाद उस संन्यासी ने राजा से बोला कि “मैं एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में जाना जाता हूं और मैं प्रवचन देता हूं प्रवचन देने के लिए मैं अलग राज्य में जाने वाला था लेकिन वहां नहीं पहुंच सका और उसके पहले ही दिन ढलने को आ गया है

तुम मेरी इच्छा आपकी महल में आज की रात निकालने की है और मुझे रात निकालने के लिए बस थोड़ी सी जगह चाहिए सन्यासी के द्वारा यह सब बोलने के बाद राजा सन्यासी से बोलता है कि यह तो राजाओं का महल है यह कोई विश्राम स्थल नहीं है और यदि आप रात रुकना चाहते हो तो आप बाहर जाकर कहीं और जगह ढूंढ लो बाहर आपको रहने के लिए जगह तो मिल ही जाएगी

राजा के द्वारा यह सब कहने के बाद सन्यासी एक बार फिर से राजा से प्रश्न करता है सन्यासी राजा से बोलता है कि “महाराज आप मुझे बता सकते हैं क्या की आपसे पहले इस महल पर किसका राज था?” तब राजा सन्यासी को जवाब देता है कि “इस महल पर पहले मेरे पिताजी का राज था और वह ही राज किया करते थे”

लेकिन सन्यासी एक बार फिर से राजा से प्रश्न कर लेता है और संन्यासी बोलता है कि “आपके पिताजी से पहले इस महल पर किसका राज था” इस बात को सुनकर राजा को गुस्सा आने लग गया था लेकिन वह शांत रहा और राजा ने सन्यासी को जवाब दिया कि “मेरे पिताजी से पहले इस महल पर मेरे दादाजी का राज था”

अब सन्यासी राजा को जवाब देता है कि ” यह जगह ना तो पहले तुम्हारी थी और न हीं तुम्हारे जाने के बाद किसी की होगी इस संसार में जो भी आता है एक न एक दिन तो उसे जाना ही होता है हम तो जहां पर रहते हैं वही हमारा विश्राम स्थल बन जाता है इस महल को ना तो तुम अपने साथ लेकर जाओगे और न ही आगे आने वाले लोग इसे लेकर जाएंगे तो आप ही हमें बताओ कि यह विश्राम स्थल है या नहीं तब राजा को सन्यासी की बात अच्छी तरह से समझ में आ जाती हैं और राजा सन्यासी से माफी मांगने लग जाता है और संन्यासी उस महल में रुक जाता है।

शिक्षा :- जैसा कि आप सब लोग यह तो जानते हैं कि हम इस संसार में कुछ भी लेकर नहीं आए थे और ना ही इस संसार से कुछ लेकर जाएंगे हम तो इस संसार में खाली हाथ ही आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे हमें जिंदगी में धन लोग माया मैं या मेरा इन सब के पीछे नहीं भागना चाहिए जिंदगी का असली मजा तो खुश रहने में है इसलिए हमें हमेशा खुश रहना चाहिए क्योंकि इस संसार में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनके पास पैसे तो बहुत है लेकिन खुशियां कुछ भी नहीं है अगर आपके पास पैसे हैं लेकिन आपके पास खुशियां नहीं है तो आपकी जिंदगी का कोई मतलब नहीं है इसलिए हमेशा खुश रहो दुख तो आते जाते रहते हैं।

मोटिवेशनल कहानी

एक दिन एक आदमी मछली पकड़ने के लिए चला जाता है वह आदमी पूरे दिन काफी मेहनत करता है लेकिन उसको एक भी मछली की प्राप्ति नहीं होती हैं धीरे-धीरे शाम होने लग जाती हैं और वह आदमी काफी परेशान होने लग जाता है और वह सोचता है कि यदि मैं आज एक भी मछली घर लेकर नहीं गया तो रात को हम भोजन कैसे करेंगे वह आदमी काफी परेशान हो जाता है और वह बाद में एक मछली बाजार में चला जाता है और वहां जाकर एक दुकानदार के पास जाता है और उसे दुकानदार से बोलता है कि मुझे तीन जिंदा मछलियां चाहिए लेकिन मेरी एक शर्त है कि उन तीनों मछलियों को में पहले अपने कांटे से पकड़ लूंगा और उसके बाद ही मैं आपसे खरीदुंगा।

दुकानदार उस आदमी की बात को सुनकर काफी हैरान हो जाता है कि यह कैसा अजीब इंसान है जब यह मछली खरीदने आया है तो यह खरीद भी सकता है लेकिन यह पकड़ने की मेहनत क्यों कर रहा है दुकानदार के द्वारा उस आदमी की बात को सुनने के बाद एक बाल्टी निकाली जाती हैं और उस बाल्टी में पानी भरता है और चार-पांच मछलियां उस बाल्टी में डाल देता है और उसके बाद उस आदमी से बोलता है कि इस बाल्टी में से अपनी इच्छा अनुसार मछली पकड़ लो

उसके बाद वह आदमी उस बाल्टी में से अपने लिए तीन मछलियां पकड़ लेता है और दुकानदार को पैसे दे देता है पैसे देने के बाद वह आदमी जैसे ही घर जाने लगता है तो वह दुकानदार उस आदमी से पूछ लेता है कि यह मछलियां तो हमने पहले से ही पकड़ रखी थी लेकिन तुमने दोबारा से पकड़ने की मेहनत क्यों की और तुम्हें ऐसा करने पर क्या हासिल हुआ तुमने तो पैसे भी हमें वही दिए और तुम्हारा समय भी बर्बाद हुआ इससे तुम्हें क्या फायदा हुआ

तो वह आदमी दुकानदार को जवाब देता है कि मैं जो बोलूंगा वह आपको समझ में तो नहीं आएगा लेकिन मैं झूठ किसी से नहीं बोलता हूं जब मैं घर जाऊंगा तो घर जाने के बाद मेरे बच्चे तथा मेरी पत्नी मुझे पूछेगी कि आज कितनी मछलियां पड़कर लाए हो तो मैं घर जाने के बाद उनको यह तीन मछलियां बता दूंगा जो मैंने अपनी मेहनत से अभी आपके सामने पड़ी हैं और ऐसा मैंने इसलिए किया क्योंकि मुझे खुद को भी यह एहसास दिलाना होता है कि मैं आज नाकामयाब नहीं हुआ हूं मैं एक बार फिर से कल नई उम्मीद के साथ मछलियां पकड़ने के लिए जाऊंगा और मैं आज की तरह कल नाकामयाब ना रहूं

शिक्षा :- हम अपनी पूरी जिंदगी को दूसरों के सहारे नहीं जी सकते दूसरों के सहारे तो बस कुछ दिन जी सकते हैं आज यदि कोई आपका साथ दे रहा है तो जरूरी नहीं है कि वह आने वाले समय में भी आपका साथ दे इसलिए आपको आने वाली कठिनाइयों का तो खुद को ही सामना करना पड़ेगा आप दूसरों के सहारे नहीं बैठ सकते।

पत्थर तोड़ने वाली मोटिवेशनल स्टोरी

एक व्यक्ति हर रोज पत्थर तोड़ता था वह अपने घर से कुछ दूरी पर ही पत्थर तोड़ने का काम किया करता था और पत्थर तोड़कर ही वह अपना जीवन यापन करता था एक दिन वह आदमी पत्थर तोड़ते समय सोच रहा था कि क्या मैं जीवन भर पत्थर तोड़ने का ही काम करूंगा कभी हमारी जिंदगी में मैं आराम आएगा या नहीं ऐसा सोचने के बाद वह अपने आप को कोसने लग जाता है और उसके मन में एक असंतुष्ट की भावना जागृत हो जाती हैं और उसको रात भर नींद भी नहीं आती है अब वह यह सोचने लग जाता है कि मुझे बड़ा आदमी बनना है

एक दिन जब वह रात में सो रहा था तो उसको एक सपना आता है और उस सपने में वह देखता है कि जब वह पत्थर तोड़ने के लिए जाता है तो रास्ते में उसको एक बड़ा सा बंगला दिखाई देता है उस बंगले को देखकर वह आदमी सोचता है कि यह सबसे बड़ा है और यह मुझे चाहिए उसके बाद वह आदमी उस बंगले को काफी देर तक देखता रहता है कुछ समय के बाद वहां पर एक व्यक्ति आ जाता है जिसको सभी लोग फूलों की माला पहना रहे थे और उस व्यक्ति की जय जयकार कर रहे थे तब वह व्यक्ति सोचने लगा कि बड़ा यह बंगला नहीं है बल्कि बाद तो यह आदमी है जिसको सब इतना सम्मान दे रहे हैं

तब वह आदमी सोचने लगा कि मुझे यह बंगला नहीं चाहिए बल्कि मुझे तो नेता बनना है यह सब नजारा देखते हुए वह वह आदमी धूप में खड़ा-खड़ा पसीने से भीग गया था फिर वह आदमी ऊपर की तरफ देखता है तो उसको सूरज नजर आता है तब वह आदमी सोचने लग जाता है कि सबसे बड़ा तो यह सूरज है जो इतनी रोशनी सबको दे रहा है मुझे भी कितना पसीने में भीगो दिया है अब तो मुझे सूरज ही बनना है

जब वह आदमी सूरज को देख रहा था तो कुछ समय के बाद ही वहां पर घना बादल आ जाता है और सूरज को ढक देता है तो वह आदमी सोचने लग जाता है कि बड़ा सूरज नहीं है बल्कि बड़ा तो यह बादल है जिसने पूरे सूरज को ढक दिया है कुछ समय ही हुआ था कि एक हवा का झोंका आ जाता है और उस पूरे बादल को दूर ले जाता है वह पत्थर तोड़ने वाला आदमी सोचता है कि सबसे बड़ी ताकत तो हवा में होती हैं जिसने कुछ समय में ही इस बादल को हटा दिया है

वह आदमी इतना सब कुछ सोच रहा था कि हवा जाकर एक पहाड़ से टकरा जाती है और अपनी दिशा को मोड़ लेती हैं हवा के टकराने पर भी वह पहाड़ थोड़ा सा भी टस से मस नहीं हुआ था फिर कुछ समय के बाद में वह पत्थर तोड़ने वाला आदमी देखा है कि सामने से कोई व्यक्ति आ रहा है और उसके हाथ में हथोड़ा है और वह पहाड़ के टुकड़े-टुकड़े करने आ रहा है तब हुआ पत्थर तोड़ने वाला आदमी सोचता है कि इतनी ताकतवर हवा ने भी पहाड़ का कुछ नहीं बिगाड़ा उस पत्थर को एक छोटा सा व्यक्ति तोड़ रहा है यह क्या हो रहा है

वह पत्थर तोड़ने वाला आदमी बार-बार इस बात को सोच रहा था कि मुझे पत्थर तोड़ने का काम बिल्कुल भी नहीं करना है लेकिन उसने देखा कि उसके सामने एक व्यक्ति उसे महान ताकतवर पहाड़ के भी टुकड़े-टुकड़े कर रहा है इतना सब कुछ देखने के बाद उस पत्थर तोड़ने वाले आदमी की आंखें खुल जाती हैं और फिर वह एक ही बात सोचता है कि मैं जैसा भी हूं जिस हाल में हूं मैं यहीं पर ठीक हूं और सबसे बड़ा तो मैं ही हूं जो मैं इस ताकतवर पहाड़ को भी तोड़ रहा हूं

कहानी से सीख :- दोस्तों समय रहते जो चीज हमारे पास उपलब्ध होती हैं हम उसकी इज्जत तो बिल्कुल भी नहीं करते हैं हम हमेशा हमारे पास हैं उसको तो नहीं देखे बल्कि दूसरों के पास हैं उसको देखते हैं और उसके बनने जैसा प्रयास करते हैं और यह सोचते हैं कि उसके पास तो इतना सब कुछ है हमारे पास तो कुछ भी नहीं है और हम असंतुष्ट हो जाते हैं यदि दोस्तों आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो आपको आशावादी बनना चाहिए तथा आपको अपने जीवन में आशा तो रखनी ही चाहिए

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अंतिम शब्द :-

दोस्तों हमने आपको यहां पर मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी, motivational story in Hindi, motivational story, मोटिवेशनल कहानी के बारे में बताया है हमने जो कहानी आपको यहां पर बताई है यदि आप इन कहानियों को गहराई से पढ़ते हैं तो आप इनसे अच्छी प्रेरणा ले सकते हैं और अपने जीवन में सबक को भी सीख सकते हैं इसलिए दोस्तों इन कहानियों को आप अंत तक पढ़े और इनसे मिलने वाली प्रेरणा को भी जाने यदि दोस्तों आपको यह कहानी पसंद आती है तो आप इनको अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें ताकि उनको भी अच्छी प्रेरणा मिल सके।

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