नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका आज के हमारे इस लेख में दोस्तों आज हम इस लेख में बात करने वाले हैं विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाते हैं , Vishwakarma puja क्यों मनाते हैं आज आपको इसकी पूरी जानकारी इस लेख के माध्यम से मिलने वाली है दोस्तों इसे हर वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है बड़े धूमधाम से विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है
दोस्तों इसे हिंदू समुदाय के लोग मनाते हैं और सभी हिंदू इसे एक त्योहार के रूप में भी लेते हैं यह त्यौहार भद्रा के अंतिम दिनों में मनाया जाता है इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है तो इसी दिन यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है अब भी आपके मन में विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती है का प्रश्न उठता है तो आपको में सरल भाषा में समझाता हूं
दोस्तों किसान या फिर कोई भी मजदूर व्यक्ति विश्वकर्मा की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि ऐसा करने से उनकी उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती हैं तो इस प्रकार भी आप इसे समझ सकते हैं दोस्तों पूरे भारत में विश्वकर्मा पूजा का एक अलग ही स्थान माना जाता है
दोस्तों आज इस लेख में हम जानेंगे कि विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती हैं 2023 तथा विश्वकर्मा पूजा का इतिहास क्या है इसकी पूजा विधि क्या है विश्वकर्मा पूजा कब है और विश्वकर्मा पूजा की विधि क्या है इन सब की जानकारी आज आपको इस लेख के माध्यम से दी जाएगी अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो इसलिए को को अंत तक जरूर पढ़ें तो चलिए दोस्तों बिना देरी किए इस लेख पर आगे बढ़ते हैं
Vishwakarma कौन थे?
हम आपको बता दें कि यह देवताओं के शिल्पकार माने जाते थे तो इन्हें बहुत से लोग शिल्प के देवता के नाम से भी पुकारते हैं दोस्तों इनके पिता जी का नाम वास्तु था आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनके पिता जी धर्म के सातवीं संतान हैं इन्हें बहुत से लोग धर्म ब्रह्मा जी के पुत्र भी मानते हैं पूरे भारत में हिंदू धर्म के लोग भगवान विश्वकर्मा जी को निर्माण के देवता मानते हैं
ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में महलों और हथियारों और भवनों का निर्माण इन्हीं के द्वारा करवाया गया था इसलिए इन्हें निर्माण के देवता कहा जाता है तो इस प्रकार वर्तमान समय में भगवान विश्वकर्मा पूजा के दिन लोहे के सामानों की पूजा की जाती है हम आपको बता दें कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन बहुत से दफ्तर बंद रहते हैं
Vishwakarma जयंती क्या है?
जैसा कि हमने ऊपर बात की की विश्वकर्मा कौन थे तो हमने बिल्कुल आपको वहां पर बता दिया कि विश्वकर्मा कौन थे अब हम बात करने वाले हैं कि विश्वकर्मा जयंती क्या है दोस्तों प्राचीन समय से माने जाने वाली परंपराओं के अनुसार इस दिन लोहे के औजारों की और निर्माण कार्यों से जुड़ी कामकाज होती पूजा की जाती है हम आपको बता दें कि जो व्यक्ति विश्वकर्मा की पूजा करता है वह व्यक्ति हमेशा सुख समृद्धि से संपन्न रहता है उस व्यक्ति के कभी भी दुख नहीं आता है
Name | Vishwakarma जयंती |
दूसरा नाम | Vishwakarma पूजा |
आरंभ कब होती हैं | 17 सितंबर को |
समाप्त कब होती है | 18 सितंबर को |
तिथि के अनुसार | भाद्र माह के अंतिम दिन को |
पालन क्या है | भगवान Vishwakarma का जन्म |
उद्देश्य क्या है | उत्सव एवं मनोरंजन करना |
अनुयायी | हिंदू धर्म |
Vishwakarma पूजा क्यों मनाई जाती है?
दोस्तों हमने आपको बताया कि विश्वकर्मा पूजा क्या है और विश्वकर्मा कौन थे अब हम बात करने वाले हैं कि विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती है दोस्तों हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है हम आपको बता दें कि विश्वकर्मा जी देवताओं के शिल्पकार माने जाते हैं यह त्यौहार इस लिए मनाया जाता है क्योंकि भाद्र माह में विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था
उनका जन्म 17 सितंबर को हुआ था इसलिए इस दिन विश्वकर्मा पूजा का त्यौहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है हम आपको बता दें कि भगवान विश्वकर्मा जी को बहुत से लोग इंजीनियर के नाम से भी पुकारते हैं क्योंकि इन्होंने बहुत सारे महलों के साथ साथ हथियार का निर्माण भी किया था इस दिन बहुत से लोग अपने मशीनों की पूजा भी करते हैं और कुछ लोग लोहे के औजारों की पूजा करते हैं
Vishwakarma पूजा कैसे की जाती है?
हम आपको बता दें कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से अपने कारोबार में तरक्की होती हैं यदि हम भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और वह हमारे से प्रसन्न हो जाते हैं तो हमारा कारोबार काफी ज्यादा तरक्की कर जाता है दोस्तों इस दिन बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों और ऑफिसों में लोग मशीनों की पूजा करते हैं अब हम बात कर लेते हैं कि विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती हैं
दोस्तो सबसे पहले आपको पूजा करने के लिए फल ,फूल ,मिठाई ,चावल,रौली ,सुपारी ,दीप, रक्षा सूत्र दही, दूध ,धुप, आदि यह सब चीजें आपके पास होना बहुत जरूरी है जब आपके पास यह सब सामग्री आ जाए तो आपको अष्टदल रंगोली पर सतनाजा बनाना है फिर पूरी श्रद्धा से भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की पूजा करनी है और उस पर फूल चढ़ाने हैं
पूजा करते समय हे विश्वकर्मा जी आइए , मेरी पूजा स्वीकार कीजिए इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें दोस्तों इस त्यौहार को औद्योगिक श्रमिकों कारखानों के श्रमिक लोहार बड़े-बड़े कारीगर शिल्पकार बड़े-बड़े इंजीनियर आदि के द्वारा यह त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है
सभी लोग अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए या फिर अपने कारोबार की तरक्की के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके उनसे आराधना करते हैं अगर आप भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं तो आपका कारोबार भी तरक्की करेगा तो एक बार भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा जरूर करें
Vishwakarma पूजा की विधि का शुभ मुहूर्त क्या है?
प्रतिवर्ष विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है यह बात तो हर एक व्यक्ति को मालूम है लेकिन इसका पूजा विधि और इस का शुभ मुहूर्त हर किसी को मालूम नहीं होता दोस्तों यदि हम पूजा को सही मुहूर्त पर नहीं करते हैं तो उसका फल हमें नहीं मिलता है इसलिए जो भी पूजा आप करते हैं
उस का शुभ मुहूर्त देखकर ही उसकी पूजा करें दोस्तों भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा कन्या सक्रांति महा पुण्य काल में की जाती हैं हम आपको बता दें कि इसकी शुरुआत 7:36AM – 9:38PM तक होती है तो यदि आप भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं तो इसी समय पर करें क्योंकि यह बहुत ही शुभ मुहूर्त माना जाता है और इसका फल आपको अवश्य मिलेगा
Vishwakarma का जन्म कैसे हुआ था?
हम आपको बता दें कि भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तुदेव थे और यह वास्तुदेव धर्म की वस्तु नामक स्त्री से जन्मे थे यह इस स्त्री के सातवें पुत्र माने जाते हैं वास्तु देव की पत्नी अंगिरसी थी इसी के भगवान विश्वकर्मा ने जन्म लिया था आगे चलकर यह अपने पिता की तरह ही वास्तुकला के महान विद्वान बन गए थे क्योंकि इनके पिता वास्तुकला के आचार्य माने जाते थे
Vishwakarma जी की पत्नी कौन थी?
हम आपको बता दें कि विश्वकर्मा जी के लगभग 4 पत्नियां थी जिनमें से विश्वकर्मा जी की पत्नी आकृति मानी जाती हैं अन्य तीन पत्नियों के नाम रति , प्राप्ति और नंदी हैं हम आपको बता दें कि विश्वकर्मा जी के कुल 6 पुत्र थे जिनका नाम निम्न प्रकार हैं
मनु, चाक्षुष, शम ,काम, हर्ष ,विश्वरूप तथा वृत्रासुर यह सब विश्वकर्मा जी के पुत्र थे इन सबके अलावा विश्वकर्मा जी के 2 पुत्री भी थी जिनका नाम संज्ञा और बहिश्मती थी हम आपको बता दें कि भगवान विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य देव से हुआ था इसलिए सूर्य देव विश्वकर्मा जी के दामाद माने जाते हैं
Vishwakarma जी के प्रमुख निर्माण कार्य
भगवान विश्वकर्मा जी को वास्तु कला के नाम से भी जाना जाता है दोस्तों इन्होंने प्रत्येक युग में अलग-अलग महलों और वस्तुओं का निर्माण किया था हम आपको बता दें कि इन्होंने सोने की लंका पाताल लोक श्री कृष्ण की द्वारिका वृंदावन सुदामापुरी यमपुरी कुबेर पुरी और स्वर्ग लोक आदि का निर्माण किया था
Vishwakarma जी के पांच अवतार
1. विराट विश्वकर्मा – इस रूप में इन्हें सृष्टि के रचयिता कहा गया था
2. भृंगुवंशी विश्वकर्मा – इस रूप में इन्हें उत्कृष्ट शिल्प विद्या चार्य माना गया है
3. अंगिरा वंशी विश्वकर्मा – इस रूप में इन्हें आदि विज्ञान विधाता वसुपुत्र माना गया है
4. सुधन्वा विश्वकर्मा – इस रूप में इन्हें महान शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता माना गया है
5. धर्म वंशी विश्वकर्मा – इस रूप में इन्हें महान शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र माना गया है
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FAQ :-
विश्वकर्मा कौन थे?
यह वास्तु देव के पुत्र थे और इन्होंने देवी देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया था
विश्वकर्मा जयंती क्या होती हैं?
प्राचीन परंपराओं के अनुसार इस दिन सभी लोग लोहे के औजारों की पूजा करते हैं और बड़े बड़े कारखानों और फैक्ट्रियों में मशीनों की पूजा की जाती है क्योंकि इन्होंने लोहे के औजारों का निर्माण किया था
विश्वकर्मा जयंती क्यों मनाई जाती हैं?
विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भाद्र माह में भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था
विश्वकर्मा जयंती कब मनाई जाती है?
विश्वकर्मा जयंती हर वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है
विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि क्या है?
विश्वकर्मा जयंती की पूजा करने के लिए फल फूल मिठाई दूध दही सुपारी रोली आदि सामग्री का होना बहुत जरूरी है
आज आपने क्या जानकारी प्राप्त :-
आज हमने आपको बताया कि विश्वकर्मा जयंती क्यों मनाई जाती है और विश्वकर्मा जयंती का इतिहास क्या है तथा विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि तो इन सब की जानकारी हमने आपको इस लेख के माध्यम से दे दी हैं अगर दोस्तों आप इस लेख को अंत तक पढ़ लेते हैं तो आपको कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि हमने इस लेख में पूरी जानकारी दे दी हैं अगर दोस्तों आपको हमारा यह लेख पसंद आया है तो कमेंट जरुर करें और इस लेख को सोशल मीडिया पर एक बात जरूर शेयर करें धन्यवाद